Investment in Gold: भारत में सोने की विशेष महत्वता है। इसे देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और यहाँ विभिन्न त्योहारों पर सोने की खरीदारी की परंपरा है। इनमें अक्षय तृतीया और धनतेरस प्रमुख हैं। इस वर्ष धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन सोने की खरीदारी को शुभ माना जाता है। सोने में निवेश के कई तरीके हैं – आप इसे आभूषण के रूप में खरीद सकते हैं, सोने के सिक्के ले सकते हैं, डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं, या फिर सॉवरेन गोल्ड बॉंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, गोल्ड ETF में भी निवेश कर सकते हैं या गोल्ड सेविंग स्कीम्स का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन सोने में निवेश पर कर भी लगता है। आइए जानते हैं कि सोने पर कर कैसे लगाया जाता है।
भौतिक सोना
भौतिक सोने और डिजिटल सोने पर कर समान तरीके से लगाया जाता है। यदि सोने को खरीदने के 3 साल बाद बेचा जाता है, तो इस पर 20% का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (Long Term Capital Gains Tax) और 8% का उपकर (Cess) लगाया जाएगा। लेकिन यदि सोना 3 साल के भीतर बेचा जाता है, तो लाभ को आपकी आय में जोड़ा जाएगा और इसे आपकी आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा।
सॉवरेन गोल्ड बॉंड (SGB)
सॉवरेन गोल्ड बॉंड पर कर नियम अलग हैं। यदि आप इन्हें 3 साल के भीतर सेकेंडरी मार्केट में बेचते हैं, तो इन पर आपकी आयकर स्लैब के अनुसार कर लगेगा। लेकिन यदि आप इन्हें 3 साल के बाद बेचते हैं, तो इस पर 20% का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लागू होगा, जिसमें अनुक्रमण (Indexation) का लाभ भी शामिल होगा। यदि आप इन्हें परिपक्वता तक रखते हैं, तो इन पर कोई कर नहीं लगेगा। इन बॉंड्स की परिपक्वता अवधि 8 वर्ष है और 5 वर्षों के बाद इन्हें जल्दी भुनाने का विकल्प भी उपलब्ध है। इन बॉंड्स पर 2.5% वार्षिक आय भी होती है, जो आपकी आयकर स्लैब के अनुसार कर के अधीन होती है।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs)
गोल्ड ETFs से होने वाली आय पर कर आपकी आयकर स्लैब के अनुसार लगता है। इसके लिए बिक्री का समय कोई मायने नहीं रखता है। यदि आप गोल्ड ETF को लंबे समय तक रखते हैं या इसे तुरंत बेच देते हैं, तो कर की गणना उसी के अनुसार होगी।