BRICS Currency: क्या अमेरिकी डॉलर की चुनौती होगी? BRICS देश अपनी मुद्रा बनाएंगे!
BRICS Currency: BRICS देशों की अपनी मुद्रा बनाने की चर्चा अगस्त 2023 में जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित BRICS सम्मेलन के दौरान उठी, जब ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लुला दा सिल्वा ने BRICS देशों के बीच व्यापार और निवेश के लिए एक सामान्य मुद्रा बनाने का प्रस्ताव दिया। हालांकि, तब सदस्य देशों ने इस विचार को अधिक प्राथमिकता नहीं दी क्योंकि इसके रास्ते में कई चुनौतियाँ हैं। BRICS देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और भौगोलिक असमानताएँ मौजूद हैं, जो इस विचार को लागू करने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
BRICS शिखर सम्मेलन और मुद्रा की संभावना
BRICS शिखर सम्मेलन 22 से 24 अक्टूबर 2024 तक कज़ान, रूस में आयोजित होने जा रहा है। इस सम्मेलन से पहले, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि BRICS की अपनी मुद्रा बनाने का समय अभी नहीं आया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह 10 देशों का समूह आपसी व्यापार और निवेश के लिए डिजिटल मुद्रा के उपयोग की संभावनाओं का अन्वेषण कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस भारत सहित अन्य देशों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है।
BRICS देशों की जनसंख्या विश्व की 45 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती है और इनका वैश्विक अर्थव्यवस्था में 28 प्रतिशत का हिस्सा है। इस तरह, BRICS देशों का विश्व में एक बड़ा प्रभाव है। इस प्रभाव के कारण, BRICS देशों के अपने खुद के मुद्रा की आवश्यकता उठी है, ताकि डॉलर के प्रभाव को चुनौती दी जा सके। BRICS देशों के पास अपनी मुद्रा बनाने की क्षमता है जो अमेरिकी डॉलर की हुकूमत को चुनौती दे सकती है। लेकिन, किसी भी मुद्रा के लिए डॉलर को प्रतिस्थापित करना आसान नहीं है।
डॉलर के खिलाफ चर्चा
विभिन्न देशों के विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी डॉलर के अलावा, दुनिया में किसी अन्य मुद्रा को रिजर्व मुद्रा का दर्जा प्राप्त करना चाहिए ताकि अमेरिकी डॉलर की हुकूमत को चुनौती दी जा सके। इस समय, “डॉलराईजेशन” की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। डॉलर को रिजर्व मुद्रा के रूप में उपयोग करने की निर्भरता को कम करना ही “डॉलराईजेशन” कहलाता है। कच्चे तेल से लेकर अन्य वस्तुओं तक, केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार को भरने के लिए डॉलर खरीदते हैं और डॉलर का उपयोग द्विपक्षीय व्यापार में भी किया जाता है।
1920 में, डॉलर ने पाउंड स्टर्लिंग की जगह रिजर्व मुद्रा के रूप में अपनी जगह बनाई। वैश्विक तनाव, व्यापार युद्ध, और आर्थिक प्रतिबंध वे मुख्य कारण हैं जिनकी वजह से डॉलराईजेशन पर चर्चा चल रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।
ब्राजील के राष्ट्रपति का बयान
2023 में BRICS सम्मेलन में, ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा था कि जिन देशों को अमेरिकी डॉलर का उपयोग नहीं करना चाहिए, उन्हें व्यापार के लिए डॉलर का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि BRICS देशों की अपनी मुद्रा होने से भुगतान विकल्पों में वृद्धि होगी और मुद्रा में उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद मिलेगी।
यदि BRICS देशों ने अपनी मुद्रा बनाई, तो यह अमेरिकी डॉलर की हुकूमत को एक बड़ा झटका दे सकती है। कई देशों का मानना है कि अमेरिका और उसकी शक्तिशाली मुद्रा डॉलर को चुनौती तभी दी जा सकती है जब अमेरिका की आर्थिक ताकत को चोट पहुंचे। इस समय, विश्व भर के केंद्रीय बैंकों में मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार का 60 प्रतिशत डॉलर के रूप में है।
BRICS देशों की आर्थिक चुनौतियाँ
BRICS देशों के सामने कई आर्थिक चुनौतियाँ हैं। इनमें आर्थिक असमानताएँ, राजनीतिक भिन्नताएँ, और भौगोलिक दूरियाँ शामिल हैं। इन सबका सामना करते हुए, BRICS देशों को एकजुट होकर एक सामान्य मुद्रा के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
BRICS मुद्रा का संभावित प्रभाव
यदि BRICS देशों की अपनी मुद्रा होती है, तो यह न केवल उनके बीच व्यापार को सरल बनाएगी, बल्कि अमेरिकी डॉलर की शक्ति को भी चुनौती देगी। इससे अन्य देशों को भी प्रेरणा मिल सकती है कि वे डॉलर के बजाय BRICS मुद्रा का उपयोग करें। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में परिवर्तन आएगा और इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी प्रभाव पड़ेगा।
अमेरिकी डॉलर की स्थिति
अमेरिकी डॉलर की स्थिति पर सवाल उठाने वाले कई देशों ने अब इस दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिया है। कई देशों ने अपने व्यापार को डॉलर के बजाय अन्य मुद्राओं में करने की कोशिश की है। यह प्रयास धीरे-धीरे ही सही, लेकिन बढ़ रहा है। हालांकि, डॉलर का प्रभुत्व अभी भी बरकरार है, और इसे चुनौती देना आसान नहीं होगा।
BRICS देशों की अपनी मुद्रा का निर्माण एक बड़ा कदम होगा, लेकिन इसके लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि वे अपने आर्थिक और राजनीतिक मतभेदों को दूर करें। यदि वे सफल होते हैं, तो यह न केवल BRICS देशों के लिए, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
इस प्रकार, BRICS मुद्रा का विचार एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है। इससे केवल BRICS देशों के बीच के संबंधों को मजबूत नहीं किया जाएगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर की स्थिति को चुनौती देने का एक माध्यम भी बन सकता है। अब यह देखना है कि BRICS देश इस दिशा में कितनी तेजी से आगे बढ़ते हैं और क्या वे अपनी मुद्रा बनाने में सफल हो पाते हैं।