Heart Attack: अगर आप अपने दिल की सेहत को लेकर चिंतित हैं, तो मछली का सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, हफ्ते में कम से कम दो बार मछली खाने से हृदय रोग का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है। मछली में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड न केवल दिल की सेहत के लिए लाभकारी हैं, बल्कि यह शरीर के कई हिस्सों में सूजन को भी कम कर सकते हैं।
मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड का महत्व
मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड का मुख्य स्रोत मानी जाती है। ओमेगा-3 दिल के लिए फायदेमंद है, यह ट्राइग्लिसराइड स्तर को कम करने में मदद करता है और धमनियों में प्लाक के विकास को धीमा कर सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की सलाह है कि मछली के रूप में स्वस्थ वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन हफ्ते में कम से कम दो बार करना चाहिए। हर प्रकार की मछली प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत होती है, लेकिन फैटी फिश में अधिक मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। ये एसिड और अन्य पोषक तत्व दिल की सेहत को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं और हृदय रोग से होने वाली मृत्यु के जोखिम को भी कम करते हैं।
दिल की सेहत और मछली का सेवन
विभिन्न अध्ययनों में यह पाया गया है कि मछली का सेवन करने वाले लोगों में हृदय रोग की वजह से मृत्यु का खतरा कम होता है। खासकर हार्ट अटैक के मामले में संभावना कम हो जाती है। ओमेगा-3 फैटी एसिड एक प्रकार का असंतृप्त फैटी एसिड है जो शरीर में सूजन को कम करने में सहायक होता है। शरीर में सूजन से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
हफ्ते में दो बार मछली का सेवन क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि हफ्ते में दो बार मछली का सेवन करने से शरीर में ओमेगा-3 की कमी को पूरा किया जा सकता है। खासकर, अगर आप ओमेगा-3 से भरपूर मछली का सेवन करते हैं, तो यह दिल की सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इससे हृदय रोग के कारण होने वाली मृत्यु का जोखिम भी कम होता है, खासकर अचानक कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में।
समुद्री भोजन में ओमेगा-3 की मात्रा
अधिकतर समुद्री भोजन में ओमेगा-3 की थोड़ी मात्रा पाई जाती है, लेकिन फैटी फिश में यह अधिक मात्रा में मौजूद होता है, जो हृदय के लिए सबसे अधिक लाभकारी होती है। मछली जैसे सैल्मन, ट्यूना, मैकरल, सारडिन और ट्राउट में ओमेगा-3 की उच्च मात्रा होती है, जो दिल की सेहत को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
मरकरी का खतरा और सावधानियां
हालांकि मछली में ओमेगा-3 की मात्रा दिल के लिए अच्छी होती है, लेकिन कुछ मछलियों में मरकरी की मात्रा भी पाई जाती है। अधिक मरकरी युक्त मछलियों का सेवन करने से शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो सकते हैं। ज्यादातर वयस्कों के लिए मरकरी से स्वास्थ्य पर कोई खास असर नहीं होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए मरकरी अत्यंत हानिकारक साबित हो सकती है। इसलिए, ऐसी मछलियों का चयन करें जिसमें मरकरी का स्तर कम हो।
मछली का सेवन कैसे करें
अगर आप मछली को अपने नियमित आहार में शामिल करना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
- ताजे समुद्री भोजन का चयन करें: जहां तक संभव हो, ताजे समुद्री भोजन का चयन करें और इसे घर पर पकाकर खाएं। ताजगी का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि इससे आपको अधिकतम पोषण प्राप्त होता है।
- फैटी फिश का सेवन करें: फैटी फिश जैसे सैल्मन, सारडिन, ट्यूना आदि में ओमेगा-3 की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इन्हें प्राथमिकता दें।
- भूनने और तलने की बजाय ग्रिल या बेक करें: मछली को भूनने और तलने के बजाय ग्रिल या बेक करने से उसकी पोषकता बनी रहती है।