Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन :बात’ कार्यक्रम के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का 114वां एपिसोड आज प्रसारित हुआ, जिसमें पीएम मोदी ने बताया कि यह एपिसोड भावनात्मक होने वाला है। उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम 10 साल पूरे कर रहा है, जिसकी शुरुआत 3 अक्टूबर 2014 को विजयदशमी के दिन हुई थी। इस बार, 3 अक्टूबर का दिन नवरात्रि का पहला दिन है, जो इस अवसर को और भी खास बनाता है।
श्रोताओं को दिया श्रेय
प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के श्रोताओं को ‘मन की बात’ का असली मास्टरमाइंड बताया। उन्होंने कहा कि अक्सर जब मसालेदार और नकारात्मक बातें होती हैं, तब वे अधिक ध्यान आकर्षित करती हैं। लेकिन ‘मन की बात’ ने यह साबित किया है कि देश के लोग सकारात्मक जानकारी के लिए कितने भूखे हैं।
पीएम मोदी ने कहा, “मन की बात की 10 साल की यात्रा ने एक ऐसा हार बना दिया है जिसमें हर एपिसोड के साथ नई कहानियाँ, नई उपलब्धियाँ और नए व्यक्तित्व जुड़े हैं।” उन्होंने मीडिया के सभी रूपों का धन्यवाद किया, जिन्होंने इस कार्यक्रम को हर घर तक पहुँचाया।
जल संरक्षण का मुद्दा
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने जल संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वर्षा के पानी का संरक्षण अब पानी के संकट के समय में फायदेमंद होगा। उन्होंने झाँसी, उत्तर प्रदेश में महिलाओं द्वारा किए गए एक सराहनीय प्रयास का उदाहरण दिया, जहां कुछ महिलाओं ने ‘जल सहेली’ बनकर ग़ुड़ारी नदी को पुनर्जीवित किया।
इन महिलाओं ने एक चेक डैम बनाने का कार्य किया, जिसमें उन्होंने बोरियों में रेत भरकर नदी को फिर से जीवन दिया। यह कार्य अन्य स्थानों की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।
मध्य प्रदेश की महिलाएं
पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के दो प्रयासों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि डिंडोरी के रायपुरा गाँव में एक बड़े तालाब का निर्माण करने से भूजल स्तर में सुधार हुआ है। यहाँ की महिलाएं, जो शारदा आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं, ने मछली पालन शुरू किया, जिससे उनकी आय भी बढ़ी है।
छतरपुर की महिलाएं
छतरपुर में भी, जब खाम्प गाँव का बड़ा तालाब सूखने लगा, तो वहाँ की महिलाओं ने इसे पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किए। हरि बागिया स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने तालाब से काफी मात्रा में कीचड़ हटाया और उसे बंजर भूमि पर इस्तेमाल कर एक बाग तैयार किया।
उत्तराखंड के झाला गाँव का उदाहरण
पीएम मोदी ने उत्तराखंड के झाला गाँव का भी जिक्र किया, जहाँ के युवा प्रतिदिन दो घंटे गाँव की सफाई करते हैं। इस प्रयास ने गाँव को स्वच्छ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, पीएम मोदी ने पुडुचेरी की राम्या की भी सराहना की, जो युवा साथियों के साथ समुद्र तट पर सफाई अभियान चला रही हैं।
अमेरिका से 300 कलाकृतियों की वापसी
पीएम मोदी ने अपने अमेरिका दौरे के दौरान लगभग 300 प्राचीन कलाकृतियों की वापसी की जानकारी भी साझा की। इनमें भगवान श्री कृष्ण और भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ शामिल हैं। इन कलाकृतियों में भगवान गणेश और भगवान विष्णु की कांस्य मूर्तियाँ भी शामिल हैं। पीएम मोदी ने बताया कि ये मूर्तियाँ विदेशों में तस्करी कर ले जाई गई थीं।
सैंथाली भाषा के संरक्षण का प्रयास
पीएम मोदी ने सैंथाली भाषा के संरक्षण के प्रयासों पर भी बात की, जो सैंथाल जनजाति की भाषा है। यह भाषा भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में भी बोली जाती है। ओडिशा के मयूरभंज में रहने वाले राम जी टुडू इस भाषा के संरक्षण के लिए एक अभियान चला रहे हैं, जहां सैंथाली साहित्य को पढ़ा और लिखा जा सकता है।
शुभश्री का औषधीय बाग
पीएम मोदी ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम का भी उल्लेख किया। शुभश्री, जो तमिलनाडु के मदुरै की निवासी हैं, ने दुर्लभ और उपयोगी औषधियों का एक बाग तैयार किया है। शुभश्री एक शिक्षक हैं और उनके पिता को 80 के दशक में एक सांप ने काट लिया था। उस समय औषधियों ने उनकी सेहत में सुधार करने में बहुत मदद की। इस घटना के बाद उन्होंने औषधियों की खोज की और अपने गाँव में एक बाग तैयार किया।
मेक इन इंडिया के 10 साल
पीएम मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के 10 साल पूरे होने की भी बात की। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम बड़े उद्योगों से लेकर छोटे दुकानदारों तक सभी के लिए फायदेमंद साबित हुआ है। आज भारत विनिर्माण का एक बड़ा केंद्र बन चुका है और देश के निर्यात हर क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे हैं।
अंतिम संदेश
पीएम मोदी ने कहा कि अब हमें गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है और स्थानीय उत्पादों के लिए आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने त्योहारों के दौरान ‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद खरीदने की अपील की।
‘मन की बात’ का यह एपिसोड न केवल सकारात्मक जानकारी का प्रवाह है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के प्रयासों को मान्यता देने का भी एक माध्यम है। पीएम मोदी का यह प्रयास देशवासियों को जोड़ने और उनके द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्यों को उजागर करने का है।
इस कार्यक्रम ने लोगों के मन में सकारात्मकता का संचार किया है और देशवासियों को अपने आसपास के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। ‘मन की बात’ के 10 साल पूरे होने का यह कार्यक्रम एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ आगे बढ़ने का संकेत है।