Agra: बांग्लादेशियों की धरपकड़ को छापेमारी, छह संदिग्ध पकड़े गए

आगरा में तीन दर्जन से अधिक बांग्लादेशियों के पकड़े जाने के बाद पुलिस लगातार अभियान चला रही है। झुग्गी बस्तियों में लोगों के सत्यापन किए जा रहे हैं। संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है। इसी कड़ी पुलिस ने छह संदिग्धों को पकड़ा है। उनसे पूछताछ की जा रही है।

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी के बाद शहर में छापे मारे जा रहे हैं। बुधवार को बाहरी बस्तियों में रहने वाले संदिग्ध लोगों का सत्यापन किया गया। उनके आधार, राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड आदि दस्तावेजों की जांच की जा रही है। छह संदिग्धों को पकड़ा गया है। प्राथमिक जांच के बाद इनमें से एक युवक के बांग्लादेशी होने के शक पर सुरक्षा एजेंसियां उससे पूछताछ कर रही हैं। सिकंदरा पुलिस ने 2018 में रुनकता में पकड़े गए बांग्लादेशी गाजी और उसके बेटे सहित आधा दर्जन लोगों से पूछताछ की। वह इस समय जमानत पर हैं।

सिकंदरा थाना क्षेत्र के सेक्टर-14 में पुलिस ने अवैध रूप से रह रहे 32 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें चार बाल अपचारी भी शामिल थे। सात साल से कम उम्र के आठ बच्चे भी जेल में अपने अभिभावकों के साथ हैं। इसके बाद से पुलिस लगातार बांग्लादेशी नागरिकों की छानबीन कर रही है।

पुलिस ने सईद उल गाजी और उसके बेटे को पकड़ा
शहर में पहले पकड़े जा चुके बांग्लादेशी नागरिक भी जमानत पर छूटने के बाद आगरा में ही रहने लगे हैं। सिकंदरा पुलिस ने रुनकता बस्ती में रहने वाले सईद उल गाजी और उसके बेटे को बुधवार को पकड़ा। गाजी, उसके बेटे और पत्नी सहित छह बांग्लादेशी नागरिकों को पुलिस ने 12 अक्तूबर 2018 को जेल भेजा था।

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एक साल से अधिक समय तक गाजी जेल में रहा। हाईकोर्ट से जमानत हुई। जमानत पर बाहर आने के बाद गाजी परिवार सहित रुनकता में रहने लगा। पुलिस ने उसे सत्यापन के लिए बुलाया था। पुलिस ने बताया कि मुकदमा लंबित होने के कारण वह देश नहीं छोड़ सका। गाजी को अदालत में पेशी पर जाना होता है।

गाजी का दामाद बांग्लादेशी है, पासपोर्ट और वीजा पर आया है
पुलिस का कहना है कि अगर वह डिपोर्ट कर दिया गया तो उसे कहां से पकड़कर लाया जाएगा। इसी कानूनी कार्यवाही के कारण वह परिवार के साथ रह रहा है। रुनकता में उसकी संपत्ति है। उसके पास पक्का मकान और दो गाड़ियां भी हैं। वह कबाड़ का काम कर रहा है।

पुलिस का कहना है कि घर में गाजी का दामाद भी मिला है। वह बांग्लादेशी है। पासपोर्ट और वीजा पर आया हुआ है। वहीं रुनकता में गाजी का कर्मचारी सलमान भी पकड़ा है। वह खुद को दिल्ली का रहने वाला बता रहा है। इंस्पेक्टर आनंद कुमार साही ने बताया कि गाजी और उसका बेटा शमीम को सत्यापन के लिए बुलाया गया था। दोनों कबाड़ का काम करते हैं। कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं है।

जाली करेंसी के आरोप में जेल भेजी गई महिला बेच रही सब्जी
इसके अलावा एत्मादउद्दौला थाना क्षेत्र के सुशील नगर की फातिमा 16 फरवरी 2017 को पकड़ी गई थी। उस पर जाली करेंसी चलाने का आरोप था। पश्चिमी बंगाल से आई एनआईए की टीम ने उसे पकड़ा था। अपने साथ ले गई थी। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने उस समय फातिमा को बांग्लादेशी बताया था। पुलिस अब दावा कर रही है कि वह भारतीय है। उसके पैरोकारों ने दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। फातिमा पांच साल जेल में रही। रिहाई के बाद वापस आगरा आ गई। दोबारा सब्जी बेच रही है।

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पश्चिम बंगाल के नागरिकों पर नजर
पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह के निर्देश पर पुलिस ऐसी बस्तियों में रहने वाले संदिग्ध लोगों का सत्यापन कर रही है। चौकी प्रभारियों को रजिस्टर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस को निर्देश हैं कि जो लोग अपने आप को पश्चिमी बंगाल का निवासी बताएं उन्हें संदिग्ध मानकर गहराई से जांच की जाए। खुद को जिस जगह का निवासी बताएं वहां की पुलिस से संपर्क किया जाए।

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