SEBI Employees Protest: मुंबई में SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के मुख्यालय के बाहर सैकड़ों नाराज कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने SEBI की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग की। इन कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने माधबी पुरी बुच पर कार्यालय के माहौल को बिगाड़ने का आरोप लगाया था।
कर्मचारियों की शिकायतें और SEBI की प्रतिक्रिया
6 अगस्त 2024 को, करीब 500 SEBI कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को एक पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने माधबी पुरी बुच पर कार्यालय का माहौल खराब करने, कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करने और अपशब्दों का उपयोग करने के गंभीर आरोप लगाए थे। कर्मचारियों ने पत्र में लिखा था कि वे कार्यालय के बुरे माहौल से बहुत परेशान हैं। वरिष्ठ अधिकारी छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाते हैं और कर्मचारियों को डांटते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि माधबी पुरी बुच विषाक्त कार्य संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं। उनकी कार्यकाल के दौरान, बैठकों में लोगों पर चिल्लाना और सार्वजनिक रूप से उन्हें शर्मिंदा करना आम हो गया है।
बुधवार को, SEBI ने कर्मचारियों के असंतोष और विषाक्त कार्य संस्कृति के आरोपों पर एक बयान जारी किया। इस बयान में, SEBI ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि कर्मचारियों को बाहरी तत्वों द्वारा भ्रमित किया जा रहा है। SEBI ने कहा कि कर्मचारियों की एचआरए और विषाक्त कार्य संस्कृति के बारे में आपत्तियां बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह की गई हैं और संभवतः गलतफहमी का परिणाम हैं। SEBI ने स्पष्ट किया कि इन आरोपों का उद्देश्य नियामक की विश्वसनीयता को संदिग्ध बनाना है।
माधबी पुरी बुच की परेशानियाँ
माधबी पुरी बुच की परेशानियाँ बढ़ती जा रही हैं। पहले, हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी केस के संबंध में SEBI अध्यक्ष पर आरोप लगाए थे। इसके बाद, मुख्य विपक्षी पार्टी ने उन पर आरोप लगाया कि वे SEBI में निदेशक के रूप में ICICI बैंक से वेतन ले रही हैं। हालांकि, ICICI बैंक ने इन आरोपों को नकारा है। अब, माधबी पुरी बुच SEBI कर्मचारियों की नाराजगी का सामना कर रही हैं।
निष्कर्ष
SEBI के कर्मचारियों द्वारा किए गए इस प्रदर्शन ने साफ कर दिया है कि वे अपनी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की कार्यशैली और कार्यालय के माहौल से पूरी तरह असंतुष्ट हैं। यह विवाद अब SEBI की आंतरिक समस्याओं और नेतृत्व पर सवाल उठाने का कारण बन चुका है। अब देखना यह होगा कि इस स्थिति का समाधान कैसे होता है और क्या माधबी पुरी बुच अपने पद पर बनी रहती हैं या उनकी मांगें पूरी की जाती हैं।